शक्तिपीठ जातला माता मंदिर
जातला माता मंदिर के बारे में कहा जाता हैै। कि पांडवों ने पांडोली और कौरवों ने कश्मोर बसाया था । और इन दोनों गांव के बीच में वटवृक्ष के नीचे बैैठकर इनकी सभा होती थी। और उसी स्थान के वहां जातला माता का मंदिर स्थापित है।
बहुत लोगों का मानना है। कि जातला माता मंदिर में लकवा रोगियों को मंदिर परिसर में रात्रि विश्राम कराने के साथ ही समीप स्थित वट वृक्ष की परिक्रमा कराने से निश्चय ही लाभ होता है। इस वट वृक्ष में सभी तरह के लोग परिक्रमा लगा सकते हैं। अतः वटवृक्ष के अंदर से निकलने की जगह बहुत कम होने पर भी आसानी से छोटे बड़े सभी तरह के लोग इसमें से निकल सकते हैं। यही इस वट वृक्ष का चमत्कार है।
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वटवृक्ष
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M.K. वीरवाल चित्तौड़गढ़- जातला माता का मंदिर चित्तौड़गढ़ से 9 किलोमीटर दूर कपासन उदयपुर रोड पर पांडोली गांव में स्थित है। जहां की मान्यता है। कि माता के दर्शन मात्र से लकवा रोगी ठीक हो जाता है। आमतौर पर लकवा रोगी चिकित्सकों का सहारा लेकर अपनी बीमारी को दूर करने का प्रयास करते हैं लेकिन मेवाड़ के शक्तिपीठों में चित्तौड़गढ़ की जातला माता ऐसा स्थान है। जहां न केवल प्रदेश से बल्कि दूर दूर के और अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में लकवा रोगी पहुंचकर रोग मुक्त हो जाते हैं। वर्षों पुराने माता के मंदिर में इस तरह के चमत्कार की गाथा दूर-दूर तक फैली हुई है। जिसके चलते यहां वर्ष पर्यंत लकवा रोगियों की अच्छी खासी तादाद देखने को मिलती है खासतौर पर शरदीय यह और चैत्र नवरात्रि में हजारों लोग नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक माता के दरबार में श्रद्धालु और लकवा रोगी यहां आकर स्वयं को धन्य होने की अनुभूति करते हैं। कई श्रद्धालुओं की मान्यता है। कि लकवा रोगियों को मंदिर परिसर में रात्रि विश्राम कराने के साथ ही समीप स्थित वट वृक्ष की परिक्रमा कराने से निश्चय ही लाभ होता है। इसी भावना के अनुसार बड़ी संख्या में लकवा रोगी और उनके परिजन इस नवरात्रि में भी ज्यादा माता रानी की शरण में रहते हैं।

श्री जातला माता
अनेक श्रद्धालु रोगी मुक्त होने के बाद मुर्गे का उतारा कर मंदिर परिसर में उसे छोड़ देते हैं। और कई श्रद्धालु अपनी मन्नत पूरी होने पर कबूतर को दाना और माता रानी के श्रृंगार का सामान चढ़ावा करते हैं। वहीं कई भक्त यहां मां प्रसादी का आयोजन करते हैं। रोगियों के अलावा बड़ी संख्या में अन्य श्रद्धालु भी जातला माता के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में नवरात्रि के दिनों में पहुंचते हैं। जिसके फलस्वरूप यहां नवरात्रि मेले की भी अनुभूति रही।
आज के इस आधुनिक और वैज्ञानिक युग में जहां चिकित्सक लकवा रोगियों का उपचार करने में महीनों लगा देते हैं। वही जातला माता के दर्शन मात्र से लकवा रोग दूर हो जाता हे। एक चमत्कार ही कहा जा सकता है। इसका मैं स्वयं उदाहरण हु।
( मैं जब 4 या 5 साल का था तब मुझे बोलने में कठिनाई थी मेने उसके बाद माता रानी को ठीक होने की बोला और कहा कि जब मैं सही से बोलने लग जाऊं तो मैं आपके चांदी की जीभ चढ़ाउंगा और कुछ ही महीनों में मैं सही से बोलने लग गया। )
Jai ho jatla mata ki🙏🙏🙏
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