एक अनोखा मंदिर जहां खुद देवी मां करती है अग्नि स्नान
हमारे भारत देश में ऐसे बहुत से मंदिर स्थापित है। जो कि अपनी शक्ति और चमत्कार से जाने जाते हैं। इन मंदिरों की लोकप्रियता इतनी होती है। कि दूर-दूर से लोग तो आते ही है। लेकिन विदेशों से भी लोग भगवान के दर्शनों के लिए आते हैं। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जो बहुत ही पुराना व जिसकी कहानी बड़ी ही महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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ईडाणा माता |
यह मंदिर राजस्थान में ईडाणा माता मंदिर के नाम से प्रख्यात हे। यहां पर मां के चमत्कारी दरबार की महिमा बहुत ही अपरंपार है। जिसे देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं। वैसे तो आपने बहुत सारे चमत्कारी स्थल के बारे में सुना होगा। लेकिन ईडाणा माता मंदिर बिल्कुल ही अलग और चौंकाने वाला स्थान है। यह स्थान राजस्थान के उदयपुर शहर से 60 किलोमीटर दूर अरावली की पहाड़ियों के बीच में स्थित है। ईडाणा मां का यह दरबार बिल्कुल खुले एक चौक में स्थित है। और इस मंदिर का नाम ईडाणा उदयपुर मेवल की महारानी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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माता के दर्शन |
इस मंदिर में भक्तों की खास आस्था बनी हुई है। क्योंकि यहां मान्यता है। कि लकवा से ग्रसित रोगी यहां मां के दरबार में आकर मां के दर्शन से ठीक हो जाते हैं। इस मंदिर की हैरान करने वाली बात यह है। कि यहां स्थित देवी ईडाणा मां की प्रतिमा से हर महीने में दो बार अग्नि प्रज्वलित होती है। और इस चमत्कार को देखने के लिए मां के दरबार में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन अगर बात करें इस अग्नि की तो आज भी कोई पता नहीं लगा पाया की अग्नि कैसे जलती है।
ईडाणा माता मंदिर में अग्नि स्नान का पता लगते ही आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लग जाती है। मंदिर के पुजारी के अनुसार ईडाणा माता पर अधिक भार होने पर माता स्वयं ज्वाला देवी का रूप धारण कर लेती है। यह अग्नि धीरे-धीरे विकराल रूप धारण करती है। और इसकी लपेट 10 से 20 फीट तक पहुंच जाती है। लेकिन इस अग्नि के पीछे खास बात यह भी है। कि आज तक श्रंगार के अलावा किसी अन्य चीज को कोई आंच तक नहीं आई है। भक्त इसे देवी का अग्नि स्नान कहते हैं। और इसी अग्निस्नान के कारण यहां माता का मंदिर नहीं बन पाया ऐसा माना जाता है। कि जो भी भक्त इस अग्नि के दर्शन कर लेता है उसकी हर इच्छा मनोकामना पूरी हो जाती है। यहां भक्त अपनी इच्छा पूर्ण होने पर त्रिशूल चढ़ाते हैं। और साथ ही जिन लोगों के संतान नहीं होती है। वह दंपति यहां झूला चढ़ाने आते हैं। खासकर इस मंदिर के प्रति लोगों का विश्वास है। कि लकवा से ग्रसित रोगी मां के दरबार में आकर लकवा रोगी हो जाते हैं।



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