चित्तौड़गढ़ किला
चित्तौड़गढ़ किला राजस्थान के इतिहास प्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ में स्थित है। यह किला 25.53 अक्षांश और 74.39 देशांतर पर स्थित है। किला जमीन से लगभग 500 फुट ऊंचाई वाली एक पहाड़ी पर बना हुआ है। परंपरा से प्रसिद्ध है। कि इसे चित्रांगद मौर्य ने बनवाया था। आठवीं शताब्दी में गुहिलवंशी बापा ने इसे हस्तगत किया कुछ समय तक यह परमारो, सोलंकीयों और चौहानों के अधिकार में भी रहा था।
किंतु सन 1175 ई. के आसपास उदयपुर राज्य के राजस्थान में विलय होने तक यह प्राय गुहिल वंश युग के हाथ में ही रहा।
चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास
चित्तौड़गढ़ किला राजपूत सूर्य के इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान रखता है। या किला 7वी से 16वीं शताब्दी तक सत्ता का एक महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था। लगभग 700 एकड़ क्षेत्र में फैला यह किला 500 फुट ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है यह माना जाता है। कि सातवीं शताब्दी में मोरी राजवंश के चित्रांगद मोरी द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था।
राजवंशों का शासन
चित्तौड़गढ़ किले पर अनेक राजवंशों ने शासन किया था
मोरि या मौर्य - 7वीं 8वीं शताब्दी
प्रतिहार - 9वी 10वीं शताब्दी
परमार - 10वीं 11वीं शताब्दी
सोलंकी - 12 वीं शताब्दी
गोहिल और या सिसोदिया
आक्रमण
किले के लंबे इतिहास के दौरान इस पर 3 बार आक्रमण किया गया। जिसमें पहला आक्रमण सन 1303 में अलाउद्दीन खिलजी द्वारा किया गया। और दूसरा आक्रमण सन 1535 में गुजरात के बहादुर शाह द्वारा किया गया। तथा तीसरा आक्रमण सन 1567 से लेकर 1568 में मुगल बादशाह अकबर द्वारा किया गया था। प्रत्येक बार यहां जोहर किया गया। इसकी प्रसिद्ध स्मारकीय विरासत की विशेषता इसके विशिष्ट मजबूत किल्ले, प्रवेश द्वार, बुर्ज, महल, मंदिर ,दुर्ग तथा जलाशय स्वयं बताते हैं, जो राजपूत वास्तुकला के उस उत्कृष्ट नमूने हैं।
प्रवेश द्वार
चित्तौड़गढ़ किले के साथ प्रवेश द्वार मुख्य है। प्रथम प्रवेश द्वार- पैदल पोल के नाम से जाना जाता है। जिसके बाद दूसरा द्वार -भैरव पोल के नाम से जाना जाता है। तीसरा द्वार -हनुमान पोल, और चौथा द्वार -गणेश पोल, पांचवा द्वार जोली पोल, छटा द्वार लक्ष्मण पोल, तथा अंत में सातवां द्वार रामपाल के नाम से विख्यात है। जो सन 1459 में बनवाया गया था। किले की पूर्वी दिशा में स्थित प्रवेश द्वार को सूरजपोल कहा जाता है।
पर्यटन स्थल चित्तौड़गढ़ किला अनेक दर्शनीय और ऐतिहासिक स्थानों से परिपूर्ण है। यहां पर अनेक देखने लायक स्थान विद्यमान है। पाडल पोल के निकट वीर बाग सिंह का स्मारक है। महाराणा का प्रतिनिधि बनकर इसने गुजरातियों से युद्ध किया था। भैरव पुल के निकट कला और जैमल की छतरियां है। राम पोल के पास पत्ता का स्मारक पत्थर है। इस किले के अंदर और भी कई आकर्षक स्थल है। जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
जैसे-
कुंभा महल
पद्मिनी महल
रत्न सिंह महल
फतेह प्रकाश महल
कालिका माता मंदिर
समाधि स्वर मंदिर
कुंभा स्वामी मंदिर
720 देवरी
कीर्ति स्तंभ
जैन कीर्ति स्तंभ
गौमुख कुंड
आदि चित्तौड़गढ़ किले पर देखने लायक स्थल है।
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